कवितांए बनाते थे पापा, आजकल बहाने बनाते हैं… समय नहीं मिलता, ज़िम्मेदारियाँ बढ़ गयीं हैं, हिन्दी टाइपिंग नहीं आती, लिखने की आदत नहीं रही, कहीं छपने लायक है भी क्या?इस बार फ़िर घर की सफ़ाई के दौरान उनकी कॉपी मिली जिसमें वे कुछ 25 साल पहले (जैसा पापा ने बताया… क्योंकि मैं तो खुद अभी 19 साल की हूँ) कवितांए और विचार लिखते थे, तो मैंने सोचा पापा का एक ब्लॉग ही बना दिया जाये… सो बना दिया…चूँकि ये रचनाँए 25 वर्ष पुरानी हैं तो उन्हें उस समय को और पापा की उस समय की उम्र को ध्यान में रखते हुए ही पढ़ा जाये…
आपके पापा द्वारा लिखी गयी कविता को पढ़ कर पता चलता है कि वे बड़े ही खुशमिजाजा व्यक्ति हैं । इस पोस्ट पर पहली बार आया हूँ । मेरे पोस्ट पर आपका निमंत्रण है ।
सीधे सादे लफ्जों में जीवन की हकीकत बयां हो गयी है।
ReplyDelete------
कब तक ढ़ोना है मम्मी, यह बस्ते का भार?
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुनलो नई कहानी।
बेहद सुन्दर शब्द।
ReplyDeleteक्या .. जाने किसका इंतेज़ार. अच्छी है!!
ReplyDeleteखूबसूरत कशमकश।
ReplyDeleteबढिया,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
Bahut Sunder Aur Shabd liye rachna...Dr. Monika Sharma
ReplyDeleteदिल ऐसा ही है जो समय की महत्ता को नहीं जज्बातों की सत्ता को मानता है..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
WORD VERIFICATION...?????
Sabhi ka bahut bahut dhanyawaad.. :)
ReplyDeleteaur word verification.. ab hata diya hai.. dhyan hi nahi diya tha.
http://premchand-sahitya.blogspot.com/
ReplyDeleteयदि आप को प्रेमचन्द की कहानियाँ पसन्द हैं तो यह ब्लॉग आप के ही लिये है |
यदि यह प्रयास अच्छा लगे तो कृपया फालोअर बनकर उत्साहवर्धन करें तथा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें |
आपके माध्यम से मिली इतनी हौसला अफजाई ।
ReplyDeleteफ़िर से लिखने को मन करने लगा है बहन और भाई॥
बहुत-2 धन्यवाद ।
:)
आपके पापा द्वारा लिखी गयी कविता को पढ़ कर पता चलता है कि वे बड़े ही खुशमिजाजा व्यक्ति हैं । इस पोस्ट पर पहली बार आया हूँ । मेरे पोस्ट पर आपका निमंत्रण है ।
ReplyDeleteVery good write-up. I certainly love this website. Thanks!
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